MUSALMANO ME BAKRA EID KYUN MANAI JATI HAI ?

बकरा ईद मुसलमानों का एक खास पर्व है। दुनियाभर में लाखों मुसलमान अपने इस परिवार को धूमधाम से मनाते हैं। लेकिन आज भी कई लोगों को यह जानकारी नहीं है कि आखिर बकरा ईद का मतलब क्या है और MUSALMANO ME BAKRA EID KYUN MANAI JATI HAI? लेकिन आज के इस लेख में हम यह सभी जानकारी प्राप्त करने वाले हैं।

आज के इस लेख में हम जानेंगे कि MUSALMANO ME BAKRA EID KYUN MANAI JATI HAI? साथ ही हम बकरा ईद का अर्थ और बकरा ईद की कुर्बानी को भी समझेंगे। तो आइए बिना देरी किए लेख को शुरू करते हैं।

बकरा ईद क्या है?

मुसलमानों में बकरा ईद को “ईद उल अजहा” भी कहा जाता है। तो कई लोग जो नहीं जानते कि ईद उल अजहा का अर्थ क्या है तो हम आपको बता दें कि इसका मतलब है बलिदान का पर्व। बकरीद इस्लामिक कैलेंडर में बहुत महत्व रखती है, क्योंकि यह मक्का की वार्षिक तीर्थयात्रा हज के अंत का प्रतीक है।

यह मुसलमानों के लिए सबसे पवित्र अवसरों में से एक माना जाता है, जो विश्वास, बलिदान और कृतज्ञता पर जोर देता है। यह त्यौहार अल्लाह की आज्ञा और निस्वार्थ का के पालन के महत्व की याद दिलाने के रूप में भी कार्यकर्ता है।

इसलिए मुस्लिम समुदाय में बकरा ईद को काफी अधिक धूमधाम से मनाया जाता है और यह व्यवहार लोगों के जीवन में बहुत महत्व भी रखता है।

मुसलमानों में बकरा ईद क्यों मनाई जाती है? | MUSALMANO ME BAKRA EID KYUN MANAI JATI HAI?

मुसलमानों में बकरा ईद कुर्बानी के लिए मनाया जाता है। दरअसल ऐसा माना जाता है कि हजरत इब्राहिम अल्लाह को याद कर रहे थे। और केवल वह अल्लाह के ध्यान में ही मग्न थे। तो ऐसे में अल्लाह ने उनकी परीक्षा लेने की सोचे।

तो अल्लाह ने हजरत इब्राहिम से कहा कि वह उनकी दुआ कबूल कर लेंगे लेकिन उन्हें अपने किसी कीमती चीज की बलि देनी होगी। और हजरत इब्राहिम के लिए उनका सबसे कीमती चीज उनका बेटा ईस्माइल था।

ऐसे में हजरत इब्राहिम ने अपने बेटे इस्माइल की बलि देने का निर्णय किया। लेकिन बलि देते समय अल्लाह ने उनके बेटे इस्माइल को हटाकर वहां पर बकरी रख दी और इस प्रकार उस बकरे का बली चड़ गया।

इस तरह से हजरत इब्राहिम अपनी परीक्षा में पास हो गए और अल्लाह ने भी उनकी दुआ कबूल कर ली। इस दिन अल्लाह ने हजरत इब्राहिम की दुआ कबूल करी थी और बकरे की बलि दी गई थी, इसीलिए इस दिन को बकरा ईद के रूप में मनाया जाने लगा।

इसीलिए दुनिया भर में सभी मुसलमान बकरा ईद मनाते हैं और यह दिन कुर्बानी का दिन माना जाता है।

मुसलमान बकरा ईद कैसे मनाते हैं?

तो आइए अब समझते हैं कि बकरा ईद की तैयारी कैसे होती है और यह पर्व कैसे मनाया जाता है। बकरा ईद से पहले के हफ्तों में मुसलमान इस उत्सव के लिए पहले से ही तैयारी करने लग जाते हैं।

वे अपने घरों की साफ-सफाई और सजावट करते हैं। साथ ही नए कपड़े खरीदना और दावत की योजना भी बनाते हैं। इसके अतिरिक्त मुसलमान गरीबों को दान देकर और जरूरतमंद लोगों की मदद करके भी अपने धर्म के कार्य में संलग्न होते हैं।

बकरा ईद पर परंपरा

बकरा ईद के दिन मुसलमान मस्जिदों में नमाज पढ़ने के लिए एक साथ इकट्ठा होते हैं। जिसे हम ईद की नमाज कहते हैं। नमाज पढ़ने के बाद सभी मुसलमान एक दूसरे को बधाई देते हैं गले मिलते हैं और एक दूसरे को ईद मुबारक कहते हैं।

बकरी की कुर्बानी

नमाज पढ़ने के बाद बकरा ईद पर बकरे की कुर्बानी दी जाती है। यह कुर्बानी पैगंबर इब्राहिम के अपने बेटे का बलिदान करने की इच्छा का प्रतीक है और अल्लाह की आज्ञा कारिता के महत्व की याद दिलाता है। कुर्बान किए गए इस बकरे के मांस को तीन भागों में बांटा जाता है।

जिसमें से एक हिस्सा गरीबों एवं जरूरतमंदों को दिया जाता है। दूसरा हिस्सा रिश्तेदारों एवं दोस्तों को दिया जाता है। और तीसरा हिस्सा परिवार के लिए रखा जाता है।

तो इस प्रकार मुसलमान बकरा ईद मनाते हैं और बकरे की कुर्बानी देते हैं।

इसको भी पढ़े –माँ विन्ध्यावास्नी की कहानी

बकरीद में बकरा खरीदने का नियम क्या है?

बकरीद में मुसलमान बकरा की कुर्बानी देते हैं। तो ऐसे में कुछ लोग पहले से ही बकरा ईद के लिए बकरी को पालते हैं और बकरीद के दिन उसी बकरे की कुर्बानी देते हैं। परंतु इसमें कुछ मुस्लिम ऐसे होते हैं जो बकरी ईद वाले दिन ही बकरा को खरीद कर लाते हैं और फिर उसकी कुर्बानी देते हैं।

कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो बकरा नहीं खरीद पाते तो वह अपने रिश्तेदारों के साथ यह पर्व मनाते हैं और उन्हीं के साथ बकरा की कुर्बानी देते हैं।

MUSALMANO ME BAKRA EID KYUN MANAI JATI HAI से संबन्धित FAQ’s

मुस्लिम धर्म में कुर्बानी क्यों दी जाती है?

एक बार हजरत इब्राहिम जी अल्लाह से दुआ कर रहे थे और अल्लाह ने उन्हें दुआ कबूल करने के लिए उनके कीमती चीज की कुर्बानी देने के लिए कहा था। तो ऐसे में हजरत इब्राहिम की याद में ही कुर्बानी दी जाती है।

ईद पर बकरे की कुर्बानी क्यों दी जाती है?

अल्लाह ने हजरत इब्राहिम से उनकी कीमती चीज की कुर्बानी मांगी थी जिसमें हजरत इब्राहिम ने अपने बेटे की कुर्बानी देने का निर्णय लिया था। लेकिन बाद में अल्लाह ने उनकी बेटे की जगह कुर्बानी देते समय एक बकरा रख दिया और बकरे की बलि चढ़ गई। इसलिए ईद पर बकरे की कुर्बानी दी जाती है।

बकरा ईद की कहानी क्या है?

बकरा ईद पैगंबर इब्राहिम की कहानी है। इसमें इब्राहिम को अपने प्यारे बेटे इस्माइल को बलिदान करने का आदेश मिलता है। लेकिन जैसे ही इब्राहिम अपने बेटी की बलि देने वाले होते हैं अल्लाह उसकी बेटी की जगह पर बकरा ला देते हैं। इस तरह से यह एक कुर्बानी और विश्वास का पर्व कहलाता है।

बकरीद पर मुसलमान क्या करते हैं?

बकरीद पर मुसलमान सबसे पहले सुबह-सुबह एक साथ नमाज पढ़ते हैं और उसके बाद बकरे की कुर्बानी देते हैं। और यह कुर्बानी तीन हिस्सों में लोगों को विभाजित की जाती है।

बकरा ईद कब है 2023

2023 में बकरा ईद 28 जून बुधवार की रात से शुरू होगा जो कि 29 जून 2023 की शाम तक चलेगा। इस तरह से 2023 में बकरा ईद 2 दिनों तक पड रहा है।

ईद-उल-जुहा किसकी याद में मनाया जाता है?

ईद-उल-जुहा हजरत इब्राहिम पैगंबर की याद में मनाया जाता है।

निष्कर्ष – मुसलमानों में बकरा ईद

आज के इस लेख में हमने जाना कि MUSALMANO ME BAKRA EID KYUN MANAI JATI HAI? उम्मीद है कि इस लेख के माध्यम से आपको इस विषय पर पूरी जानकारी मिल पाई होगी कि बकरीद क्यों मनाया जाता है?

यदि आपको इसी प्रकार किसी अन्य त्योहारों के बारे में भी जानकारी की आवश्यकता है तो कृपया हमें कमेंट करके जरूर बताएं। यदि आपको लेख अच्छा लगा हो तो इसे अन्य लोगों के साथ भी शेयर करें।

Leave a Comment