आपने माता विंध्यवासिनी के बारे में जरूर सुना होगा, जिनका मंदिर मिर्जापुर में स्थित है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि Vindhyawasini Mata Kaun Thi और Ma Vindhyawasini Ki Kahani क्या है? बहुत से लोगों को इस बारे में जानकारी नहीं है इसलिए आज हम इसी विषय पर विस्तार पूर्वक चर्चा करने वाले हैं।
इस लेख में हम जानेंगे कि Vindhyawasini Mata Kaun Thi और Ma Vindhyawasini Ki Kahani क्या है? साथ ही हम देवी विंध्यवासिनी माता से संबंधित कुछ रहस्य घटनाए भी जानेंगे। तो आइए बिना देरी किए लेख को शुरू करते हैं।
विंध्यवासिनी माता कौन थी? | Vindhyawasini Mata Kaun Thi?
भारत कई पवित्र स्थलों से सुशोभित है, जो पौराणिक कथाओं में गहराई से निहित है। पूजनीय स्थलों में विंध्यवासिनी स्थित शक्तिपीठ का विशेष स्थान है। ऐसा माना जाता है कि यह देवी विंध्यवासिनी का निवास स्थान है, जो आशीर्वाद देने वाली और इच्छाओं की पूर्ति करने वाली के रूप में पूजनीय है।
मां विंध्यवासिनी माता यशोदा और नंद की पुत्री थी। जब श्री कृष्ण का जन्म हुआ था, तभी नंद और यशोदा जी को जी एक पुत्री हुई थी। जब वसुदेव जी श्री कृष्ण को गोकुल सही सलामत पहुंचाने गए थे कृष्ण के बदले में नंद और यशोदा की पुत्री को ले आए थे ताकि कंस को यह शक ना हो कि देवी की को आठवीं संतान नहीं हुई है।
फिर जब कंस को पता चला कि देवी की की आठवीं संतान पैदा हो चुकी है और वह पुत्री है तो कंस काफी आश्चर्य हो गया था। लेकिन कंस ने सोचा कि देवकी की आठवीं संतान पुत्र हो या पुत्री उसके लिए खतरनाक साबित हो सकती है।
तो ऐसे में जब वह उस पुत्री की हत्या करने जा रहा था तब दुर्गा जी के स्वरूप में मां विंध्यवासिनी प्रकट हुई और उन्होंने बोला कि तुम्हारी मृत्यु पहले से ही पैदा हो चुकी है और वह सही सलामत है। और फिर वह गायब हो गई।
मां विंध्यवासिनी का नाम उन्हें विंध्य पर्वतमाला से मिला। जहां पर विंध्यवासिनी का अर्थ है, विंध्य में निवास करने वाली माता।
माता विंध्यवासिनी को हम कई अन्य नामों से भी जानते हैं जैसे अंबिका एक नाम सा शारदा भद्रकाली महामाया इत्यादि।
विंध्यवासिनी माता का मंदिर कहां है?
माता विंध्यवासिनी शक्तिपीठ का मंदिर मिर्जापुर में स्थित है। हालांकि यह मुख्य रूप से मिर्जापुर में नहीं है, बल्कि मिर्जापुर के विंध्याचल गांव में स्थित है, जो कि मिर्जापुर से 8 किलोमीटर की दूरी पर है।
इसके अलावा मां विंध्यवासिनी का मंदिर हिमाचल प्रदेश में भी स्थित है और वहां पर इसे बंद ला माता के रूप में जाना जाता है। हालांकि मुख्य रूप से विंध्यवासिनी देवी जी का मंदिर मिर्जापुर में ही माना जाता है। यहां पर माता त्रिकोण यंत्र पर स्थित है।
जिसका अर्थ यह है कि यहां पर माता तीन रूपों में स्थित है। जिसमें से पहली माता स्वयं महालक्ष्मी है दूसरी माता महासरस्वती और तीसरी माता महाकाली हैं। यह मंदिर गंगा नदी के किनारे स्थित है।
माता विंध्यवासिनी जी का दर्शन करने के लिए सबसे पहले आपको विंध्याचल धाम जाना होगा और यहां पर आपको चढ़ाई करनी होगी। उसके बाद आप विंध्यवासिनी पूजा कर सकते
मां विंध्यवासिनी की कहानी क्या है? | Ma Vindhyawasini Ki Kahani
विंध्यवासिनी में शक्तिपीठ की कहानी प्राचीन काल से चली आ रही है और हिंदू पौराणिक कथाओं में गहराई से नहीं तो है। प्रचलित कहानियों के अनुसार भगवान शिव की शादी सती जी से हुई थी तो राजा दक्ष प्रजापति जो की सती माता के पिता थे वह इससे खुश नहीं थे।
राजा दक्ष प्रजापति भगवान शिव में विश्वास नहीं रखते थे। फिर भी माता सती ने भगवान शिव से विवाह किया था। फिर 1 दिन राजा दक्ष ने एक महायज्ञ रखा, जिसमें उन्होंने शिवजी और सती जी को छोड़कर सभी देवी देवताओं को बुलाया था। लेकिन सती जी बिना बुलाए ही उस यज्ञ में चली गई।
फिर वहां पर राजा दक्ष ने सती जी का काफी अनादर किया जिसके कारण सती जी ने आत्मदाह कर लिया था। इस कारण भगवान शिव और दक्ष प्रजापति के बीच युद्ध भी हुआ। फिर बाद में भगवान शिव जी दुखी होकर माता सती के शरीर को लेकर तांडव करने लगे।
फिर इस तांडव को रोकने के लिए श्री नारायण जी को मजबूरन अपना चक्र उठाना पड़ा और माता सती के शरीर को नष्ट करना पड़ा। भगवान विष्णु जी ने जब अपने चक्र से सती जी के शरीर को नष्ट किया तो उनका शरीर कुल 51 टुकड़ों में विभाजित हुआ। फिर यह पवित्र शरीर के अंग जहां-जहां गिरे वहां शक्तिपीठ स्थापित हुआ।
तो उन्हीं में से एक शरीर का अंग मिर्जापुर के विंध्याचल धाम में भी गिरा था। तो कहा जाता है कि यहां देवी सती के स्तन का अंग गिरा था जो कि माता विंध्यवासिनी शक्तिपीठ के रूप में बनकर उभरा। तो यह Ma Vindhyawasini Ki Kahani थी।
विंध्याचल मंदिर का रहस्य क्या है?
तो आइए हम कुछ मां विंध्यवासिनी की रहस्य के बारे में जानते हैं।
- मां विंध्यवासिनी के बारे में सबसे बड़ा यह रहस्य यह है कि सर्वप्रथम जब माता विंध्यवासिनी यशोदा के गर्भ से पैदा हुई थी तो उसके पहले उन्होंने ही देवकी के सातवें गर्व को बदल दिया था और उसे रोहिणी के गर्भ में पहुंचाया था। उसके बाद आठवें पुत्र के जन्म के समय वे खुद यशोदा मां के गर्भ से जन्मी।
- माता यशोदा के गर्भ से जन्मी मां विंध्यवासिनी को यशोदा जी ने देखा भी नहीं था। और रातों-रात ही वसुदेव जी ने उन्हें श्री कृष्ण से बदल दिया था।
- जब माता विंध्यवासिनी जी का कार्य यशोदा जी की पुत्री के जन्म लेने के रूप में पूरा हो गया था तो भी वह वापस स्वर्ग नहीं गई थी। उन्होंने कहा था कि मैं धरती पर ही विभिन्न रूपों में रहूंगी और जो भी मेरी स्तुति करेगा मैं उसकी इच्छा पूरी करूंगी।
- यहां पर माता विंध्यवासिनी का रहस्य के रूप में यह भी माना जाता है कि जहां श्रीमद्भागवत कथा में माता विंध्यवासिनी को यशोदा माता की पुत्री के रूप में बताया गया है। वहीं शिवपुराण में मां विंध्यवासिनी को क्षति के अंश के रूप में बताया गया है।
- यह माना गया है कि प्रलय के बाद भी माता विंध्यवासिनी के क्षेत्र का अस्तित्व कभी समाप्त नहीं होगा।
- माता विंध्यवासिनी का सबसे बड़ा रहस्य यह है कि एक बार जब सम्राट अकबर और मुगल सेना में युद्ध हो रहा था तो मुगल सेना ने इस जगह को नष्ट करने का प्रयास किया था। लेकिन जैसे ही मुगल सेना इस मंदिर को नष्ट करने आई वैसे ही वे सारी सेना अंधी हो गई थी। इसलिए मुगल सेना फिर डर के मारे पीछे हट गई।
Ma Vindhyawasini Ki Kahani से संबन्धित FAQ’s
विंध्याचल में माता का कौन सा अंग गिरा था
यह कहा जाता है कि ऐसे तो सभी शक्तिपीठ पर माता सती का अंग गिरा था लेकिन विंध्याचल में उनका कोई अंग नहीं गिरा था बल्कि देवी जी ने अपने जन्म के बाद निवास करने के लिए इसे खुद चुना था। लेकिन शिव पुराण के अनुसार माता विंध्याचल शक्ति पीठ माता सती के अंग गिरने से ही बना था।
मां विंध्यवासिनी किसकी कुलदेवी है?
मां विंध्यवासिनी को नागवंशी राजाओं की कुलदेवी माना गया है।
विंध्याचल की कहानी क्या है?
विंध्याचल की कहानी हमें यह बताती है कि यहां पर जो शक्ति पीठ स्थापित है वह माता सती के किसी एक अंग गिरने से स्थापित किया गया है।
विंध्यवासिनी देवी की उत्पत्ति कैसे हुई?
भगवत गीता के अनुसार माता विंध्यवासिनी देवी यशोदा जी की पुत्री के रूप में जन्मी थी। लेकिन शिव पुराण के अनुसार माता विंध्यवासिनी देवी की उत्पत्ति माता सती के एक अंग गिरने से हुई है। इसमें हमने विंध्यवासिनी देवी की कहानी का विस्तार पूर्वक वर्णन किया है।
निष्कर्ष – Ma Vindhyawasini Ki Kahani
आज के इस लेख में हमने Ma Vindhyawasini Ki Kahani के बारे में जानकारी प्राप्त की है। उम्मीद है कि इस लेख के माध्यम से आपको विंध्याचल माता मंदिर का रहस्य और विंध्यवासिनी देवी जी के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां मिल पाई होंगी।
यदि आप इसी प्रकार कोई अन्य देवी मंदिर के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं। यदि आपको यह लेख जनकरीपुर्ण लगा हो तो इसे अपने अन्य दोस्तों के साथ भी साझा करें।